Monday 9 November 2015

(१६)- गौ- चिकित्सा - बवासीर( Piles )

(१६)- गौ- चिकित्सा - बवासीर( Piles )

१ - पशुओं को बवासीर ( Piles )
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कारण- लक्षण :- अधिक दिनों तक क़ब्ज़ व दस्त आदि की शिकायत रहने तथा जिगर की बिमारी के कारण पशु को बवासीर होजाता है इस बिमारी से पशु के मलद्वार में मस्सें हो जाते है और उनसे के क़तरे निकलते रहते हैं । जो गोबर में अलग ही दिखाई देते हैं यदि अन्दर से ख़ून आता हैं तो समझ लेना चाहिए कि किसी घाव आदि के कारण आया हैं क्योंकि बवासीर की मुख्यत: एक ही पहचान है कि उसके मलद्वार में मस्सें होते हैं ।

१ - औषधि - ककरोंदा पावडर २ तौला , कबीला पावडर ढाई तौला , गाय के दूध से बनी छाछ ५०० ग्राम , में मिलाकर पशु को नित्य पिलाते रहने से लाभ होता हैं ।

२ - औषधि - रसोंत ६ माशा , गेन्दें की पत्ती ढाई तौला , नीम की निबोली ढाई तौला लेकर दोनों को भली-भाँति घोंटकर पशु को प्रतिदिन पिलाना चाहिए, यह गुणकारी हैं ।

३ - औषधि - मलद्वार में बवासीर के मस्सों पर भाँग की ताजी पत्ती कूटकर गरम करके बाँधें अथवा गेंदें की पत्तियों की टिकीया बनाकर बाँधें। तदुपरान्त १ तोला माजूफल पीसकर उसमें तीन माशा अफ़ीम मिलाकर गाय के घी के साथ घोटकर लेंप तैयार करें और मस्सों पर लगायें । इस प्रयोग से शीघ्र लाभ होगा ।

४ - औषधि - रसकपूर १ रत्ती , कपूर २ रत्ती , काशकारी सफेदा ४ रत्ती , मुर्दासंग ८ रत्ती , और गाय का घी १ तौला , लें सभी को घोंटकर मरहम बना लें मरहम गाढ़ा - गाढ़ा होना चाहिए इस मरहम को पशु की गदा में मस्सों पर लगाने से मस्सें शीघ्र ठीक होने लगतें हैं ।

इस रोग में मस्सें अधिक कष्ट कारी होते हैं अत: इन मस्सों को मिटना अतिआवश्यक होता हैं ।

५ - औषधि - बवासीर के मस्सों पर सुअर की चर्बी की मालिश करते रहने से मस्सें नष्ट हो जाते हैं और पशु ठीक हो जाता हैं । यह अतिगुणकारी औषधि हैं । बवासीर की दवाये लम्बे समय करनी पड़ती हैं । तब यह रोग समूल नष्ट होता है इसका इलाज जल्दी बन्द नहीं करना चाहिए ।

# - बदहजमी व क़ब्ज़ पशु को न हो ये ध्यान रहे पशु को क़ब्ज़ कारक व भारी आहार न दें । हल्का सुपाच्य आहार देना चाहिए ।


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