Friday 21 May 2021

रामबाण योग :- 95 -:

रामबाण योग :- 95 -:

बाजरा-

बाजरा का नाम तो सभी ने सुना है। बाजरा सिर्फ खाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है बल्कि आयुर्वेद में औषधी के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। बाजरा की रोटी, खिचड़ी, चूरमा बहुत ही खाने के लिए बनाया जाता है। बाजरा का औषधीय गुण खाने की इच्छा बढ़ाने के साथ-साथ दर्दनिवारक और पेट संबंधी समस्याओं में भी बहुत काम आता है। साधारणत: लोग सर्दी के मौसम में बाजरे की रोटी, खिचड़ी तथा चूरमा आदि शौक से खाते हैं। ज्वार की अपेक्षा यह विशेष पथ्यकर माना जाता है। इसके ताजे हरे भुट्टों को भूनकर दानें निकाल कर भी खाते हैं। यह 0.9-1.8 मी ऊँचा, ज्वार के पौधों जैसा, दुर्बल तथा सीधा बढ़ने वाला पौधा होता है।
बाजरा का वानास्पतिक नाम Pennisetum glaucum (Linn.) R. Br. (पेनिसिट्म ग्लॉकम) Syn-Pennisetumtyphoides (Burm.f.) Stapf &C.E. Hubb.Pennisetum typhoideum Rich. होता है। इसका कुल  Poaceae (पोएसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Pearl millet (पर्ल मिलेट)कहते हैं। Sanskrit-अग्रधान्य, नीलकणा, नीलसस्य, वज्रान्न, वर्जरीका, वर्जरी, नली, साजकHindi-बाजरा, लाहरा, बाजड़ा; कहते है।बाजरा के फायदों के बारे में जानने के लिए सबसे पहले औषधीय गुणों के बारे में जान लेना बेहतर होता है। बाजरा प्रकृति से मधुर, गर्म, रूखा, कफ से आराम दिलाने वाला तथा वातपित्तकारक होता है।
यह त्वचा की रौनक बढ़ाने में मददगार , पुष्टि को हरने वाला, हृदय के लिए स्वास्थ्यवर्द्धक, बलकारक, दुर्जर (देर से पचने वाला), तथा भूख बढ़ाने में मददगार होता है। बाजरा भूख बढ़ाने में सहायक होता है। यह अपस्मार(Epilepsy), अनिद्रा (Insomnia), बन्ध्यता (infertility), यक्ष्मा (Tuberculosis),सूजन , लीवर संबंधी समस्या, हृदय संबंधी बीमारी तथा अरुचि को दूर करने में मददगार होता है। इसके फल सामान्य कमजोरी तथा रक्त की कमी को दूर करने में हितकर होते हैं।

 

#- सिरदर्द - किसी भी कारण सिर में दर्द होता है तो बाजरा की पोटली बनाकर सेंकने से सर्दी की वजह से होने वाले सिरदर्द से आराम मिलता होता है।
 
#- पेट दर्द - खान-पान में असंतुलन के कारण अगर पेट में गड़बड़ी की समस्या होता रहता है तो बाजरा का इस तरह से इस्तेमाल करने में जल्दी आराम मिलता है। बाजरा को भूनकर उसकी पोटली बनाकर पेट पर सेंक करने से पेट दर्द से जल्दी आराम मिलता है।
 
#- उदर रोग - अगर आप हमेशा पेट संबंधी समस्याओं से परेशान रहते हैं तो बाजरा का सेवन करने से धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।
 
#- अतिसार - बाजरा का सेवन करने से अतिसार तथा अजीर्ण या अपच से जल्दी राहत मिलती है।


#- मिरगी रोग - लगभग 200 ग्राम गौदधि ( दही ) में 35 ग्राम शर्करा मिलाकर बाजरा की गाय के घी से चुपड़ी रोटी के साथ प्रतिदिन सुबह  एक महीने तक सेवन करने से मिर्गी के इलाज में लाभ मिलता है।

 

#- स्नायुक रोग - 5 ग्राम बाजरा चूर्ण में 18 ग्राम पुराना गुड़ तथा 2 ग्राम आकाशवल्ली का पेस्ट मिलाकर 3 वटी बनाकर प्रतिदिन 1 वटी का सेवन करने तथा बेल पत्ते से स्नायु या नर्व को लपेट देने से स्नायुक रोग या नर्व संबंधी रोग में शीघ्र लाभ होता है।
 
#- नुक़सान - शारीरिक कुछ परिस्थितियों में बाजरे का सेवन नुकसानदेह साबित हो सकता है। बाजरा का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है तथा गुर्दे या किडनी में पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को इसका अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए। यहां तक कि व्यक्ति हमेशा बाजरे का सेवन करते हैं उन्हें गुनगुने गर्म जल में नहाना चाहिए।


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