Thursday 20 May 2021

रामबाण योग :- 92 -:

रामबाण योग :- 92 -:

वन्यबला-

वन बला (वन्यबला) एक झाड़ीनुमा पौधा है जो सड़कों के किनारे अपने आप उग जाता है। इसके तने से रेशे बनाये जाते हैं इसलिए कई जगहों पर इसकी खेती भी की जाती है। आयुर्वेद के अनुसार यह पौधा बुखार से बचाव और संक्रमण को फैलने से रोकने में काफी उपयोगी है। वन्य बला 2.4 मी ऊँचा, सीधा, रोमयुक्त शाकीय पौधा है। इसकी पत्तियां 3-9 सिराओं युक्त गोलाकार या अण्डाकार होती हैं। इस पौधे को कई जगहों पर बचाईता नाम से भी जाना जाता है। इसकी जड़े और पत्तियां सेहत के लिए बहुत उपयोगी और कई बीमारियों के इलाज में सहायक हैं। इस पौधे का वानस्पतिक नाम Urena lobata Linn (यूरेना लोबाटा) SynUrena americana  Linnहै और यह Malvaceae (मालवेसी) कुल का पौधा है। Hindi : बचाईता; English : कॉसिन (Cousin), महोइ (Mahoe), र्बुवीड (Burweed) ,Sanskrit : वन्य बला; कहते है।इसकी मूल मूत्रल एवं बल्य होती है। यह ज्वररोधी, कृमिघ्न, आमवातरोधी तथा उदर सक्रियता वर्धक होता है। यह आक्सीकरण रोधी, सूक्ष्मजीवाणुरोधी, अतिसारारोधी, विषाणुरोधी, जीवाणुरोधी, व्याधिक्षमत्व नियामक, प्रमेहरोधी तथा प्रवाहिका रोधी होता है।
 
#- मुँह के छालें - अधिक तेल मसाले वाली चीजों का सेवन करना मुंह में छाले होने की एक मुख्य वजह है। वन्यबला के उपयोग से आप मुंह के छालों से आराम पा सकते हैं। इसके लिए वन्यबला की पत्तियों को चबाकर थोड़ी थोड़ी देर में थूकते रहें। 

 #- गले की जलन - अगर आप गले की जलन से परेशान हैं तो इसे अनदेखा ना करें बल्कि घरेलू उपायों की मदद से इसका इलाज करें। वन्यजल के फूलों का काढ़ा बनाकर उससे गरारे करें। ये गरारे करने से गले की जलन दूर होती है। 

#- गले की जलन - वन बला के फूल, पत्तियां साथ में जामुन की पत्तियां और अदरक मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में थोड़ा सा नमक मिलाकर गरारा करने से गले की जलन में आराम मिलता है। 
 
#- अपच,कब्ज,पेट फुलना - पेट से जुड़े रोगों जैसे कि अपच, कब्ज, पेट फूलना या पेट में दर्द आदि के इलाज में वन बला का उपयोग करना फायदेमंद है।

#- पेट रोग - वन बला के फल के चूर्ण का सेवन करें। इससे कफ बाहर निकलता है और पेट के रोगों में फायदा मिलता है।

#- अगर आपके पेट में दर्द हो रहा हो तो वन्य बला की पत्तियों के सत् ( क्वाथ )10-30 मात्रा का प्रयोग करें। इससे दर्द से आराम मिलता है। 

#- पेट के कीडे - वन्यबला के बीजों का फॉण्ट बनाकर 10-30 ग्राम पीने से पेट में मौजूद कीड़े खत्म होते हैं।

#- ख़ूनी अतिसार - अगर आप पेचिश से परेशान हैं यानि कि मल के साथ खून निकल रहा है तो इसे अनदेखा ना करें। पेचिश की रोकथाम के लिए आयुर्वेद में कई घरेलू उपाय बताए गए हैं।

#- ख़ूनी अतिसार - वन बला का उपयोग करना। इसके लिए वन बला की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली की मात्रा में इसका सेवन करें। 

#- उदरान्त्र शोथ , पेट में सूजन - पेट में सूजन होने पर वनबला की पत्तियों को उबालकर पीस लें। इसके बाद पेट पर इसका लेप करें। इससे सूजन कम होती है। 

#- तुण्डिकेरी शोथ - वन्यबला के मूल का क्वाथ बनाकर गरारा करने से तुण्डिकेरी शोथ का शमन होता है।

#- कफ निस्सारण - 2-3 ग्राम फल चूर्ण में आधा ग्राम सोंठ चूर्ण मिलाकर शहद या गुनगुने जल के साथ सेवन करने से उदर विकारों का शमन होता है। तथा कफ का निस्सरण होकर कास व श्वास में लाभ होता है।

#- पेट दर्द - 3 भाग वनबला पत्तियों के चूर्ण में 1 भाग अजवायन चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे पेट के दर्द से आराम मिलता है।


#- अनियमित महावारी , मधुमेह - असामान्य ब्लीडिंग और अनियमित माहवारी से परेशान महिलाओं के लिए वनबला काफी उपयोगी है। इसके लिए वन्य बला की पत्तियां, फूल, फल और तने की छाल को मिलाकर कूट लें। इसमें पानी और मिश्री मिलाकर शरबत बनाकर पिएं। यह शरबत डायबिटीज, धातु रोग, असामान्य रक्तस्राव जैसे रोगों में काफी फायदा पहुंचाता है। 
 
#- मोच - पैरों में मोच जाने पर बहुत तेज दर्द होने लगता है। इस दर्द से आराम पाने के लिए वन्य बला की पत्तियों को पीसकर लगाएं

#- मोच - वन्यबला की पत्तियों को गरम करके तेल लगाकर मोच वाली जगह पर बाँध दें। ऐसा करने से मोच की समस्या जल्दी ठीक होती है।
 
#- जोडो का दर्द - बढ़ती उम्र में जोड़ों में दर्द होना एक आम समस्या है। अगर आप भी इससे परेशान हैं तो वन्यबला का उपयोग करें। विशेषज्ञों के अनुसार वन्य बला की जड़ को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया के दर्द से आराम मिलता है। 

#- व्रण - त्वचा में कहीं भी घाव होने पर उसे सामान्य समस्या समझकर अनदेखा ना करें। कई बार ये घाव आगे चलकर गंभीर समस्या बन जाते हैं। इन घावों को आप आयुर्वेद में बताए गए कई घरेलू उपचारों की मदद से ठीक कर सकते हैं। 

#- व्रण - वन्य बला की पत्तियों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव ठीक होता है। इसी तरह वनबला की जड़ को पीसकर घाव पर लगाने से सूजन और दर्द में कमी आती है। 
 
#- शारीरिक क्षीणता - अगर आप थोड़ी देर मेहनत करने के बाद थक जाते हैं या अक्सर कमजोरी महसूस करते हैं तो वन बला का उपयोग करें। इसके लिए वन बला के बीज के चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा लें और उसमें मिश्री मिला लें। इसे रोजाना सुबह शाम गाय के दूध के साथ लें। इसके सेवन से कुछ ही हफ़्तों में कमजोरी दूर होने लगती है।  
#- शारीरिक पुष्टि - 2 ग्राम वन्यबला बीज चूर्ण में मिश्री मिलाकर प्रात:सायं गाय के दूध के साथ सेवन करने से शारीरिक क्षीणता का शमन होकर शरीर की पुष्ट होकर बलवान बनता है।


Sent from my iPhone

No comments:

Post a Comment