Tuesday 11 May 2021

रामबाण :- 72 -:

रामबाण :- 72 -:

पेपरमिंट -


#- पेपरमिंट (pudina)अत्यन्त सुगन्धित क्षुप (shrub)होता है। इसके तेल और रस आदि का इस्तेमाल चिकित्सा में किया जाता है। यह एक 30-60 सेमी ऊँचा, सीधा, सुगन्धित पौधा होता है। इसका तना सीधा, बैंगनी, हरे रंग का, चार कोणों वाला तथा शाखा-प्रशाखायुक्त होता है। पेपरमिंट का वानस्पतिक नाम : Mentha piperita Linn. (मेन्था पाइपेराटा) Syn-Mentha balsamea Willd होता है। पेपरमिंट का कुल Lamiaceae (लेमिएसी) होता है। पेपरमिंट को अंग्रेजी में Peppermint (पिपरमिन्ट) कहते हैं। लेकिन भारत के अन्य प्रांतों में अनेक नामों से इसको पुकारा जाता है। Sanskrit-सुंधितपत्र; Hindi-पिपरमिंट, गोमथी, विलायती पुदीना, पेपरमिंट;कहते है। पिपरमिंट एन्टीसेप्टीक (रोगाणु को फैलने से रोकने वाला) , दर्द निवारक और हजम शक्ति बढ़ाने में मददगार होता है। यह गठिया के दर्द में फायदेमंद होने के अलावा उल्टी रोकने में भी सहायता करता है। इसका तेल अल्प पूयरोधी (पाइरिया में लाभकारी), पित्तवर्धक (पित्त को बढ़ाने वाला), जीवाणुरोधी तथा कीटनाशक होता है। इसके अलावा पिपरमिंट का तेल दर्दनिवारक भी होता है।


#- शिर:शूल - सिरदर्द से सबको कभी कभी परेशान होना पड़ता है। पिपरमिंट पञ्चाङ्ग को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिरदर्द कम होता है।


#- दन्तशूल - आजकल बच्चे से लेकर बूढ़े सभी दाँत दर्द से किसी किसी समय परेशान होते ही हैं। सबसे अहम् बात यह है कि दाँत दर्द होने पर लोग घरेलू उपाय ही सबसे पहले उपयोग करते हैं।
पिपरमिंट के क्रिस्टल को दांतों के बीच में रखकर दबाने से दांत दर्द में लाभ होता है।


#- ग्रसनीशोथ ,शलेष्मिक - कला शोथ - साल भर में जब भी मौसम में उतार-चढ़ाव होता है सर्दी सबको अपने चपेट में ले लेती है। सर्दी से आराम दिलाने में पिपरमिंट बहुत ही गुणकारी होता है। पिपरमिंट तैल को छाती पर लगाने से व पिपरमिंट का बफारा या भाप लेने से सर्दी आदि कफ वाले बीमारियों से राहत मिलती है। 


 #- मरोड़युक्त अतिसार - खाने-पीने में लापरवाही हुई कि नहीं दस्त होना शुरू हो जाता है। दस्त होने पर पिपरमिंट का सेवन इस तरह से करने पर लाभ मिलता है। पिपरमिंट के पत्तों का काढ़ा बनाकर 5-10 मिली मात्रा में पीने से जठांत्र- विकार तथा मरोड़युक्त अतिसार या दस्त, पेट संबंधी समस्या तथा पेट दर्द में लाभ मिलता है।

#- उदरशूल - पिपरमिंट के पत्तों का काढ़ा बनाकर 5-10 मिलीग्राम की मात्रा में पीने से जठरांत्र विकार व उदरशूल का शमन होता है।

#- बृहदान्त्रगतक्षोभ व जठरांत्र विकार - पिपरमिंट तैल का प्रयोग जठरांत्र विकार तथा बृहदान्त्रगत क्षोभ का उपयोग किया जाता है।


#- पेटदर्द - अक्सर मसालेदार खाना या ज्यादा खाना खा लेने से पेट में गैस हो जाता है जो पेट दर्द का कारण बन जाता है। घर में पेट दर्द से जल्द आराम पाने के लिए   25 मिग्रा पिपरमिंट के निचोड़ में शक्कर मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द से राहत मिलती है।


#- आमवात शूल ( जोडों का दर्द ) - जोड़ो में दर्द होना उम्र का तकाजा होता है। पिपरमिंट पञ्चाङ्ग को पीसकर लेप करने से गठिया संक्रात और नर्व संबंधी दर्द में लाभ मिलता है।


#- कीटदंश - चींटी आदि कीटों के काटने से होने वाली दर्द से तुरन्त राहत पाने के लिए पिपरमिंट का प्रयोग इस तरह करना चाहिए।  पेपरमिंट के पत्तों को पीसकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से दर्द से राहत मिलती है।

 #- वेदना - पिपरमिंट के पत्तों को पिसकर वेदनायुक्त स्थान पर लगाने से वेदना का शमन होता है।

#- एक रिसर्च के अनुसार पुदीने के तेल में एंटी इंफ्लेमेटरी एवं कषाय गुण पाए जाते हैं । आँखों को बचाकर मुँहासों पर पिपरमिंट तैल लगाने से मुंहासों में लाभ पहुँचाता है।

#- अमृतधारा - पिपरमिंट का सत् , अजवायन सत् , तथा कपूर सत् को समभाग मात्रा में लेकर एक काँच बोतल मे भरकर 2-3 दिन धूप में रखने से इनमें रासायनिक क्रिया होकर तीनो तैल के रूप मे आपस में मिल जायेंगे । यह औषधि बूँदों के रूप में प्रयोग करनी होगी क्योकि यह बहुत तेज़ होती है, कीटदंश , शोथ, बदहजमी, उलटी, को रोककर पाचनतन्त्र को दुरुस्त करती है यह औषधि बाजार में अमृतधारा के नाम से मिलती है। 
 
#- साइनस - एक रिसर्च के अनुसार पुदीने का तेल की कुछ बूँदों को रूमाल पर डालकर सुघँने से साइनस की समस्या में भी मदद करती है क्योंकि इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है।
 
#- एंटी एलर्जिक - पिपरमिंट के तेल की कुछ बूँदे ताज़े पानी मे या ग्रीन टी में मिलाक लेने से इसमें एंटी एलर्जिक एवं एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाने के कारण यह एलर्जी में भी लाभदायक होता है। 
 
#- मंदाग्नि - 5-6 मिली तैल का प्रयोग करने से पिपरमिंट में पाए जाने वाले उष्ण गुण के कारण मंदाग्नि को सामान्य कर पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।  
 
#- वातज नाडीदर्द - 5-8 मिलीग्राम की मात्रा माने पिपरमिंट तैल को ताज़े पानी या ग्रीन टी में मिलाकर सेवन करने से शरीर के किसी भी भाग में दर्द का मुख्य कारण वात दोष का बढ़ना माना जाता है। पिपरमिंट में पाए जाने वाले उष्ण गुण के कारण वात को नियंत्रित कर नाड़ी आदि के दर्द में आराम मिलता है। 
 
#- बालों की जड़े मज़बूत व लम्बाई बढ़ायें - 5-8 मिलीग्राम पिपरमिंट तैल को ताज़े पानी या ग्रीन टी में मिलाकर लेने से या सिर में लगाने वाले तैल में मिलाकर बालो पर लगाने से बालों के रोगों में लाभ होता है क्योकि एक रिसर्च के अनुसार पेपरमिंट में बालों की जड़ों को मजबूती प्रदान करने का गुण भी पाया जाता है, जिसके कारण यह बालों की लम्बाई बढ़ने में भी मदद करता है। 


#- त्वचारोग - त्वचा की खुजली दूर करने में पेपरमिंट  के तेल लाभकारी है जब इसको बाह्य रूप से त्वचा पर लगाया जाता है क्योंकि इसमें एक रिसर्च के अनुसार वसोकोन्सट्रिक्टर का गुण पाया जाता है। 






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