Tuesday 4 May 2021

रामबाण योग -: 55 -:

रामबाण योग -: 55 -:


#- पपीता का वानस्पतिक नाम Carica papaya Linn. (कैरिका पपाया) Syn-Papaya carica Gaertn होता है। पपीता Caricaceae (कैरीकेसी) कुल का होता है। पपीता को अंग्रेजी में Papaya (पपाया) कहते हैं। लेकिन भारत के अन्य प्रांतों में पपीता को भिन्न भिन्न नामों से पुकारा जाता है। पपीता कच्चा हो या पका उसमें इतने सारे मिनरल, विटामिन, प्रोटीन, एनर्जी आदि है कि वह बहुत सारे रोगों के लिए फायदेमंद साबित होता है। पपीता प्रकृति से कड़वा, गर्म, तीखा, कफ और वात कम करने वाला और जल्दी हजम होने वाला (papaya benefits in hindi) होता है। इसका क्षीर या कच्चे पपीते को काटने से जो दूध निकलता है वह पाचक होता है।पपीता  का कच्चा फल  थोड़ा कड़वा तथा मधुर होता है। और पका हुआ फल मधुर, पित्त कम करने वाला, सूजन का दर्द कम करने वाला, वात को कम करने के साथ-साथ रक्त को भी शुद्ध करता है।  यह विष हरने वाला, बल बढ़ाने वाला, पसीना निकालने वाला तथा कुष्ठनाशक होता है। पपीता (papaya in hindi) में विटामिन , विटामिन सी, फाइबर, पोटाशियम, एनर्जी जैसे पौष्टिक तत्व होते हैं। जिसके कारण आयुर्वेद में पपीते के पत्ते, बीज, जड़ और फल सबका रोगों के उपचार के तौर पर प्रयोग किया जाता है।


#- मुँह के छालें - कई

बार

किसी

दवाई

के

एलर्जी

के

कारण

किसी

बीमारी

के

साइड

इफेक्ट

के

वजह

से

या

शरीर

में

किसी

विटामिन

की

कमी

से

मुँह

में

छाले

या

घाव

होने

लगते

हैं।

इस

परेशानी

से

राहत

पाने

के

लिए

पपीते

का

इस्तेमाल

ऐसे

करने

पर

आराम

मिलता

है।

 


#- जिह्वा व्रण -

पपीते

के

दूध

या

आक्षीर

को

जीभ

पर

लगाने

से

जीभ

पर

होने

वाला

घाव

जल्दी

भर

जाते

हैं।



#- दाँत दर्द - अगर दांत दर्द से परेशान हैं तो पपीते का इस तरह से सेवन करने पर जल्दी आराम मिलता है। पपीते से प्राप्त दूध को रूई में लपेटकर लगाने से दांत का दर्द कम होता है।

#- गले कादर् व सूजन - कई बार ठंड लगने के कारण गले में दर्द या सूजन हो जाती है लेकिन पपीता से बनाये गए घरेलू उपाय का प्रयोग करने से जल्दी आराम मिलता है। पपीता से प्राप्त आक्षीर या दूध को जल में मिलाकर गरारा करने से गले के रोगों में लाभ होता है।


#- अग्निमांद्य - अगर लंबे बीमारी के कारण या पौष्टिकता की कमी के वजह से कमजोरी महसूस हो रही है तो पपीता का इस तरह से सेवन करने पर लाभ  मिलता है। पपीता के कच्चे फलों का साग बनाकर सेवन करने से अग्निमांद्य (Dyspepsia) तथा कमजोरी में लाभ होता है। कहने का मतलब यह है कि पपीता खाने के फायदे कमजोरी दूर होने में मदद मिलती है।

#- दस्त - अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का  नाम ही नहीं ले रहा तो पपीता का घरेलू उपाय बहुत काम आता है।

#- अतिसार - पके बीजों का सेवन चावल के साथ करने से अतिसार या दस्त में फायदा पहुँचता है। इसके अलावा कच्चे फल का साग बनाकर सेवन करने से अतिसार में लाभ होता है।

#- बवासीर - आजकल के असंतुलित खान-पान के वजह से बवासीर की समस्या बढ़ने लगी है। इसके दर्द से राहत पाने में पपीता बहुत फायदेमंद साबित होता है। पपीता के कच्चे फलों से प्राप्त आक्षीर या दूध को अर्श के मस्सों पर लगाने से बवासीर में लाभ होता है।

#- लीवर रोग - अगर कोई लीवर और स्प्लीन संबंधी बीमारियों से परेशान है तो पपीता का सेवन करना फायदेमंद साबित हो सकता है। 

#- रक्तार्श - पपीता के फलों का सेवन करने से रक्तार्श, यकृत् तथा प्लीहा-विकारों का शमन होता है।


#- लकवा रोग - लकवा होने पर जो परेशानियां होती है उससे राहत दिलाने में पपीता (papita) काम करता है। पपीता के बीजों से तेल बनाकर, छानकर मालिश करने से लकवा तथा अर्दित (मुँह का लकवा) में लाभ होता है।


#- फेसपैक - आजकल के तरह-तरह के नए-नए कॉज़्मेटिक प्रोडक्ट के दुनिया में त्वचा रोग होने का खतरा भी दिन--दिन बढ़ता जा रहा है। पपीता के पके फल को महीन कर चेहरे पर लगाने से चेहरे त्वचारो मे आराम आता है, पपीता के द्वारा बनाये गए घरेलू उपाय चर्म या त्वचा रोगों से निजात दिलाने में मदद करते हैं। 
पौधे से निकलने वाले आक्षीर को सिध्म, गोखरू, अर्बुद, गाँठ तथा चर्म रोगों में लगाने से लाभ होता है।


#- दाद- खाज - आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में दाद-खुजली रोग होने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। हर कोई किसी किसी त्वचा संबंधी परेशानी से ग्रस्त हैं। पपीता फलो से प्राप्त अक्षीर रोक लगाने से इन सब परेशानियों को कम करने में मदद करता है।

#- पपीता (papita) के बीजों को पीसकर, उसमें ग्लिसरीन मिलाकर दाद पर लगाने से दाद तथा खुजली में लाभ होता है। इसके अलावा इसके फलों से प्राप्त आक्षीर को लगाने से दाद तथा खुजली की परेशानी कम होती है।


#- चोट की सूजन - अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूजन से परेशान है तो पपीता (papita)के द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है।  पपीता के फल मज्जा को पीसकर लगाने से सूजन कम होती है।


#- कोलेस्ट्राल - नियमित पपीता  सेवन कोलेस्ट्रॉल को कम  करने में आपकी मदद कर सकता है क्योकि रिसर्च के अनुसार पपीता में एंटीऑक्सीडेंट का गुण पाया जाता है जो की कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता करता है। 
#- रोगप्रतिरोधक -  रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नियमित पपीता का सेवन आपके लिए एक अच्छा साधन हो सकता है क्योकि रिसर्च के अनुसार पपीता में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का गुण पाया जाता है


#- नेत्र हितकर - पपीते में विटामिन और सी पाए जाने के कारण यह आँखों के लिए भी लाभकारी होता है। 
 
#- पाचक - पपीते की दीपन और पाचन गुण के कारण यह पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है साथ हि पपीता में रेचन यानि लैक्सटिव का गुण भी पाया जाता है  जो कि कब्ज को भी दूर करने में मदद करता है। 


#- मासिक विकार - पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द वात दोष के अधिक बढ़ने के कारण होता है। पपीते में वात शामक गुण पाए जाने के कारण यह इसमें राहत देता है। 


#- मोटापा - पपीता अपने दीपन, पाचन और रेचन गुण के कारण वजन घटाने में मदद करता है। इससे पाचन स्वस्थ होता है एवं शरीर के सभी विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। 


#- मधुमेह - डायबिटीज के लक्षणों को कम करने में पपीता के बीज का सत्व फायदेमंद हो सकता है क्योंकि एकरिसर्च के अनुसार  इसमें एंटी डायबिटिक का गुण होता है। 


#- डिप्रेशन - अगर आपको किसी प्रकार का या आप डिप्रेशन के शिकार है तो पपीता का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि एक रिसर्च केअनुसार पपीता में एंटी डिप्रेशन के गुण पाए जाते है


#- गठिया रोग - गठिया का रोग वात दोष के बढ़ने के कारण होता है। पपीते में पाए जाने वाले वात शामक गुण इस रोग के लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है। 



#- बिच्छुदंश - बिच्छू के काटने पर उसके असर को कम करने में पपीता (papita) मदद करता है। पपीते के कच्चे फल से प्राप्त आक्षीर या दूध को दंश-स्थान पर लगाने से वृश्चिक या बिच्छू दंशजन्य विषाक्त प्रभाव कम  होता है।

#- सूजन - पपीता फल मज्जा पीसकर लगाने से सूजन उतरती है।

#- गाँठ - पपीता से निकलने वाला दूध गाँठ पर लगाने से लाभ होता है।

#- त्वचा विकार - पपीता पौधे से निकलने वाले अक्षीर ( दूध ) को सिध्म , गोखरू , अर्बुद, , गाँठ तथा चरम रोगों मे लाभकारी होता है।


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