Monday 3 May 2021

रामबाण :- 54 -:



रामबाण :- 54 -:


#- प्याज औषधीय गुणों वाला खाद्य पदार्थ है। इसकी दो प्रजातियाँ होती हैं। इसकी जड़ का प्रयोग सलाद या सब्जियों के पूरक के रूप में सबसे अधिक किया जाता है। प्याज का ऊपरी तना को भी खाया जाता है। इसकी जड़ और तने के रस का प्रयोग उपचारों के लिए किया जाता है। रंगों एवं आकार के आधार पर प्याज की कई प्रजातियाँ होती हैं। रंगों में यह मुख्यतः दो प्रकार का होता है। एक लाल और एक सफ़ेद। कुछ विद्वान इसे 'प्याज' और 'जंगली प्याज' के रूप में भी दो वर्गों में बाँटते हैं। औषधि के रूप में प्रयोग के लिए सफ़ेद रंग की प्याज को उत्तम माना गया है। प्याज को विटामिन '' का अच्छा स्रोत भी माना जाता है। प्याज लिलिएसी (Liliaceae) कुल का पौधा है और इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम ऐलियम सीपा (Allium cepa Linn) या Syn-Allium angolense Baker है। जंगली प्याज को वनस्पति विज्ञान में (Urginea Indica) कहते हैं। सामान्य प्याज को अंग्रेजी में गार्डेन ओनियन और कॉमन अनियन जैसे नामों से भी जानते हैं।

#- रतौंधी - प्याज़ के शल्ककंद का स्वरस मे अल्पमात्रा में सैंधानमक मिलाकर, छानकर आँख में 2-2 बूँद डालने से रतौंधी में लाभ मिलता है।

#- नेत्रज्योति वर्धनार्थ - प्याज के 5-10 मिली रस में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर आँखों में लगाने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।

#- नज़ला - प्याज के 10-20 मिली रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार चाटने से नजला मिटता है।

#- नकसीर - नाक से खून आने के कई कारण होते हैं। खून का थक्का जमाने का प्याज के औषधीय गुण होता है। नाक से खून आने की हालत में प्याज के पत्तों का 1-2 बूँद रस नाक में डालने से खून का थक्का जम जाता है और खून बहना बंद हो जाता है।
 
#- कर्णशोथ - कान में सूजन होने की स्थिति में अलसी को प्याज के रस में पकाकर छान लें। इस रस को गुनगुना कर कान में इसकी 4 से 8 बूँद डालें। इससे कान में दर्द, सूजन और अन्य प्रकार की समस्याएँ दूर होती हैं।
 
#- दाँत दर्द - प्याज खाने के फायदे ये हैं कि आप दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ बना सकते हैं। दांतों में दर्द होने या मसूड़ों के फूलने की स्थिति में प्याज और कलौंजी को बराबर मात्रा में लेकर चिलम में रख दें। धीरे धीरे उसके धुएं का सेवन करें। ऐसा करने से मसूड़ों की सूजन दूर होती है और दांतों का दर्द भी मिट जाता है।


#- कण्ठरोग - 5 ग्राम प्याज़ को सिरके में पीसकर इसका नियमित सेवन करने से कंठ रोग की बहुत-सी समस्याएँ दूर होती हैं।

#- स्वरभंग - प्याज को आग में भूनकर भुर्ता बना ले , 250 मिलीग्राम भूना सुहागा खिलाकर ऊपर से भुर्ता खिलाने से स्वरभंग में लाभ होता है।

#- बाल कफरोग - छोटे बच्चों में कफ से होने वाले रोगों में प्याज के 5-10 मिली रस में 10 ग्राम चीनी मिलाकर पिलाना चाहिए। ऐसा करने से कफ का प्रभाव दूर होता है।

#- छोटे बच्चो की माता का कफरोग - छोटे बच्चे की माताओं को कफ से होने वाले रोगों की हालत में 1-2 नग प्याज  को पानी में उबालें। इसे पिलाने से लाभ होता है। इसका सेवन करने से वात की कमी होती है और कफ पतला होकर बाहर निकल जाता है, घबराहट कम हो जाती है और पित्त भी बाहर निकल जाता है।

 #- हिक्का- श्वास- प्याज के रस का नस्य देने से पूर्ण वेगयुक्त हिचकी तथा श्वास में लाभ होता है।

#- दमा रोग - सांसों के रोग जैसे दमा के रोगी को प्याज का काढ़ा बनाकर 40-60 मिली की मात्रा में सुबह शाम पिलाने से तुरंत लाभ होता है। प्याज की जड़ के रस का सेवन करने से तेज हिचकी तथा दमा में लाभ होता है

#- पाचनशक्तिवर्धनार्थ - प्याज खाने के फायदे पाचनशक्ति विकार को ठीक करने में भी मिलते हैं। प्याज के रस 20 मिलीग्राम के सेवन से या कच्चा प्याज खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है और कमजोर पाचन के कारण होने वाली बीमारियां दूर होती हैं।

#- अफारा व पेटदर्द - प्याज के 20 मिली रस में 125 मिग्रा हींग और 1 ग्राम काला नमक नींबू का रस मिला लें। इसे दिन में तीन बार पिलाने से पेट के दर्द में लाभ होता है।

#- पाचनशक्तिवर्धनार्थ - प्याज के 1-2 नग को 50 मिली सिरका के साथ मिलाकर खाने से आमाशय को बल मिलता है और पाचन सही तरह  से होता है।

#- खूनी बवासीर - अक्सर कब्ज से पीड़ित लोग बवासीर (Piles) का शिकार हो जाते हैं। बवासीर से खून आने की स्थिति में सफेद प्याज के 20-30 मिली रस का सेवन करना अच्छा होता है। दिन में दो-तीन बार करने से खून आना बंद हो जाता है।

#- खूनी बवासीर - सफेद प्याज के 20-30 मिलीग्राम रस का सेवन , दिन में 2-3 बार करने से रक्तस्राव बन्द होता है तथा सफेद प्याज़ ो गौतक्र ( छाछ ) के साथ सेवन करने से और भी ज्यादा लाभ होता है।

#- बवासीर - दो प्याज को बालू में भूनकर या सेंककर छिलका उतार लें। इसका लुगदी बनाकर बवासीर के मस्सों पर बाँधने से बहुत लाभ होता है।

#- बवासीर - सफेद प्याज के 125 मिली रस में 20 ग्राम मिश्री मिलाकर पिलाने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

#- प्याज की सब्जी पकाकर गौतक्र ( छाछ ) के साथ सेवन करने से भी खूनी बवासीर में लाभ होता है।

#- बवासीर - मध्यम आकार के तीन प्याज और 10-15 ग्राम इमली के पत्तों को मिलाकर पीस लें। इसे 500 मिग्रा की गोली बनाकर खिलाने से पेट साफ़ होकर बवासीर में लाभ होता है।

#- अर्श - दो प्याज को भूभल ( बालू में भूनना ) में सेंककर छिलका उतारकर लूगदी बनाकर अर्श के मस्से पर बांधने से अत्यन्त लाभ होता है।

#- रक्तार्श - सफेद प्याज का सेवन करने से रक्तार्श में वातदोष तथा रक्तस्राव दोनों का निवारण होता है।

#- विरेचन - मध्यम आकार के तीन प्याज और 10-15 ग्राम इमली के पत्तों की गोली बनाकर खिलाने से विरेचन होकर पेट साफ होता है।

#- विसुचिका - दस्त होने की हालत में प्याज के 6 मिली रस में, 125 मिग्रा काली मिर्च का चूर्ण, 250 मिग्रा कपूर तथा चूने या केले का 25 मिली पानी मिला लें। इसे 15-15 मिनट बाद या आधा घण्टे के अंतर से देने से उल्टी तथा दस्त बंद हो जाते हैं। इससे शरीर की ऐंठन भी दूर हो जाती है।

#- दस्त - अन्य तरीके से उपचार के लिए 25 ग्राम प्याज काली मिर्च के छह नग को बिल्कुल महीन पीस कर जल में मिलाकर पिला दें। एक बार भी यह घोल पिला देने से दस्त (Dysentery) में लाभ हो जाता है। इसमें थोड़ी मिश्री मिला दें तो और भी अच्छा परिणाम आता है।

#- आमातिसार - एक प्याज के अन्दर 60 मिलीग्राम अफ़ीम रखकर उसको अंगारों पर रखकर सेंककर खिलाने से आमातिसार में लाभ होता है ।

#- दस्त - प्याज के 10 मिली रस में 125 मिग्रा कपूर बराबर मात्रा में चूने का पानी मिलाकर पीने से भी दस्त (Dysentery) में लाभ होता है। केवल प्याज रस के सेवन से भी इसमें लाभ होता है।

#- पिलिया - कामला (एक प्रकार का पीलिया) होने की स्थिति में प्याज या प्याज के रस का सेवन करें। इससे बहुत लाभ होता है। इनका सेवन प्लीहा या  तिल्ली की वृद्धि (Spleenomegaly) में भी लाभ पहुंचाता है।


#- गुर्दे की पथरी - प्याज के 10-20 मिली ताजा रस को दिन में तीन बार पीने से गुर्दे (Kidney) की पथरी चूर चूर हो जाती है और पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है।

#- पेशाब की जलन - प्याज का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में पिलाने से पेशाब में जलन की समस्या दूर होती है।


#- हस्तमैथुन के कारण नपुंसकताव सूजाक - हस्तमैथुन के कारण आयी नपुंसकता, सूजाक तथा डायबिटीज (Diabetes) जैसे रोगों में प्याज काफी फायदा देता है। इसके लिए 6 मिली रस में 4 ग्राम गाय का घी और 3 ग्राम मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम चाटने से तथा रात को दूध पीने से बहुत लाभ होता है।


#- मिरगी के दौरे की बेहोशी - प्याज के कंदों को कुचलकर सुंघाने से सामान्य मिर्गी से होने वाली बेहोशी आदि दूर हो जाती है।


#- मासिक विकार - आजकल के व्यस्त जीवन के कारण अक्सर महिलाओं को मासिक चक्र की समस्या होती है।  कच्चे सफेद प्याज का नियमित सेवन करने से मासिक चक्र भी नियमित होता है।
 
#- कामशक्तिवर्धनार्थ -सफेद प्याज को किसी बर्तन में भर लें। इस बर्तन का मुँह इस प्रकार बंद कर देना चाहिए कि उसमें हवा जाने पाए। इस बर्तन को जहाँ गाय बाँधी जाती हो उस जमीन में गाड़ देना चाहिए। चार महीने बाद निकालकर एक प्याज रोज खाने से काम शक्ति (Sex Stamina) बढ़ती है।

#- कामशक्तिवर्धनार्थ - सफेद प्याज के आधा लीटर रस में 2 लीटर शहद 250 ग्राम चीनी मिलाकर शर्बत बनाकर रखें। इस शर्बत के 25 मिली रोजाना सेवन करने से भी कामशक्ति बढ़ती है।

#- कामशक्तिवर्धनार्थ - प्याज की तीस गाँठों को लेकर बर्तन में रखकर उन पर गाय का ताजा दूध इतना डालें कि दूध 8 अंगुल ऊपर रहे। इसे आंच पर इतना पकाएं कि प्याज गल जाय। पकने पर आग से नीचे उतार लें। अब प्याज के बराबर गाय का घी और बराबर मात्रा में मधु मिला लें। इसे फिर से थोड़ी देर पकाए और अंत में 60 ग्राम कुंलजन डालें। इस औषधि को 3-4 चम्मच की मात्रा में रोज सेवन करें।
 
#- गठिया दर्द - प्याज़ का रस व राई तैल को बराबर मात्रा मानें मिलाकर मालिश करने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
#- बद गाँठ - प्याज के 1-2 नग को गाय के मूत्र में पीसकर गर्म करके बंद गाँठ पर लगाने से ग्रन्थि (Grandular swelling) खुल जाती है और दर्द कम हो जाता है।

#- पक्षाघात - वात के कारण होने वाले दर्द जैसे कि कमर दर्द, पक्षाघात (लकवा) तथा तंत्रिकाओं में दर्द आदि की स्थिति में प्याज का सेवन करने से लाभ होता है।

#- गठिया - आमवात के कारण होने वाले दर्द (गठिया) में प्याज के क्वाथ में समान मात्रा में सर्षप तेल मिलाकर लगाने से लाभ होता है।


#- हस्तमैथुन से रोग - प्याज खाने के फायदे (pyaz ke fayde) नपुंसकता की परेशानी में भी मिलता है। हस्तमैथुन के कारण आयी नपुंसकता, सूजाक तथा प्रमेह (Diabetes) जैसे रोगों में प्याज से लाभ होता है। इसके लिए प्याज के 6 मिली रस में 4 ग्राम गाय का घी और 3 ग्राम मधु मिलाकर सुबह और शाम चाटें। इसके बाद रात को दूध पीने से बहुत लाभ होता है।
 


#- श्वेत कुष्ठ - प्याज के बीजों को पीसकर लेप करने से सफेद कुष्ठ में लाभ होता है।

#- दाद - प्याज को सिरके में पीसकर दाद या काले दाग वाली किसी सूजन पर लगाने से बहुत लाभ होता है।

#- पामा - 50 मिली प्याज़ स्वरस में पहले मिश्री मिलाकर , फिर ज़ीरा से सुगन्धित कर प्रात:काल सेवन करने से पामा मे अतिशय लाभ होता है।

# - फोडा व गाँठें - प्याज को गाय के घी में तलकर घाव/त्वचा पर बाँधें। इससे फुन्सी-गाँठ, फोड़े, युवावस्था के कारण त्वचा में होने वाले बदलाव यौवन पिडिका, नारू, कंठमाला इत्यादि रोगों में लाभ होता है।

#- घाव - प्याज के रस को भी घाव/त्वचा पर लगाने से भी लाभ होता है।

#- व्रणशोथ - प्याज के छिलके को गर्म कर बाँधने से नाड़ी में दर्द और घाव की सूजन आदि में लाभ होता है।


#- मुर्छा - प्याज (pyaz)के कंदों को कुचलकर सुंघाने से सामान्य हिस्टीरिया (Hysteria) में लाभ होता है।
 


#- अनिद्रा - प्याज के बीजों (pyaz) की बनाई हुई चाय अनिद्रा रोग को दूर करती है। चिड़चिडे बच्चों को जब किसी अन्य साधन से कुछ फायदा नहीं होता और नींद नहीं आती, तब यह पेय लाभ पहुंचाती है।


#- बलवर्धनार्थ - सफेद प्याज (pyaz) के 10-15 मिली रस में बराबर मात्रा में गाय का घी मिला कर पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है और स्फूर्ति आती है।
 
#- रक्त विकार - प्याज के 50 मिली रस में 10 ग्राम मिश्री तथा 1 ग्राम भुने हुए सफ़ेद जीरे को मिला लें। इसे रोज सेवन करने से खून साफ होता है। खून के विकारों के कारण होने वाली छाजन, पामा (Scabies) आदि समस्याएँ दूर होती हैं।
 
#- बुखार व जलोदर - बुखार, जलोदर (Ascitis), सर्दी-जुकाम तथा पुरानी खाँसी में प्याज का नियमित प्रयोग लाभदायक है। प्याज को काटकर उसपर काली मिर्च छिड़क कर दिन दो बार खाने से वात विकार के कारण आया बुखार कम होता है।


#- कोलेस्ट्राल -एक रिसर्च के अनुसार प्याज के निर्यास में कुछ ऐसे गुण भी पाए जाते हैं जो कि कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।  ऐसे रोगी प्यास का नियमित सेवन करें।


#- रोगप्रतिरोधक - आयुर्वेद के अनुसार प्याज नियमित सलाद के रूप में खाना चाहिए क्योकि इसमें ओजस्कर गुण होने के कारण ये प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने  में फायदेमंद होता है साथ हि एक रिसर्च के अनुसार प्याज में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का गुण भी पाया जाता है। 


#- कैंसर - प्याज़ का नियमित सेवन करने से कैंसर का भय नहीं रहता है क्योकि एक रिसर्च के अनुसार प्याज में एंटी कैंसरकारी गुण भी पाया जाता है जो कि कैंसर के लक्षणों को रोकने का काम भी करता है। 


#- याददाश्त - प्याज में पाए जाने वाले मेध्य  गुण के कारण यह याददाश्त को बढ़ाने में मदद करती है। इसलिए प्याज का संतुलित मात्रा में नियमित सेवन फायदेमंद होता है।

#- महिलाओं मे दुग्ध वृद्धि - प्याज में बल्य गुण होने के कारण यह ये महिलाओं के अंदर की कमजोरी को दूर करती है  जिससे स्तनों में दूध की वृद्धि होने में सहायता मिलती है। 
 
#- बाजीकरण - प्याज का नियमित सेवन करने वाले व्यक्ति वीर्यवान होता है क्योकि प्याज में वाजीकर गुण और बल्य गुण होने के कारण यह वीर्य की कमी को भी दूर करने में मदद करती है। 


#- ऐडियां फटना - एड़ियों का फटने का एक कारण रुक्षता होता है और रुक्षता वात दोष के बढ़ने के कारण होती है। प्याज में वात का शमन करने का गुण पाया जाता है , प्याज़ का नियमित सेवन व पैरों पर प्याज़ को लगाने से इसमें लाभ मिलता है। 


#- फेफड़ों की परेशानियाँ ज्यादातर कफ दोष के बढ़ने के कारण होती है। प्याज़ का नियमित सेवन करने से लाभ होता है क्योकि प्याज़ में कफ का शमन करने के कारण यह फेफड़ों के विकारों को दूर करने में भी मदद करती है। 


#- लू लगना - लू लगने की हालत में प्याज के ताजे रस को शरीर पर मलने से लू का प्रभाव तुरंत समाप्त हो जाता है।और यदि प्याज़ का सलाद के रूप में सेवन करे तो लू नहीं लगती है।
 
#- शोथ - प्याज से बने काढ़ा में समान मात्रा में सरसों तेल मिला लें। इसे सूजन पर लगाने से सूजन कम होने लगती है।

#- कीटदंश - जहाँ ीडे ने काटा हो, उस स्थान पर प्याज का रस मलें। इससे जलन धीरे धीरे खत्म हो जाती है।


#- बिच्छुदंश - बिच्छू के काटने पर प्याज को काटकर उस पर बुझा हुआ चूना लगा लें। इसे काटे हुए स्थान पर रगड़ने से बिच्छू के विष के प्रभाव खत्म होने लगते हैं।
 
#- श्वास रोग - दमा, कास (खांसी), कामला (एक प्रकार का पीलिया) आदि रोगों से ग्रसित व्यक्ति को जंगली प्याज के 10-15 बूँद रस पिलाने से आराम मिलता है। इसका सेवन करने से श्वासन नली की सूजन भी दूर होने लगती है।


#- प्याज़ का रस 10-20 मिलीग्राम की मात्रा में इसके सेवन से पेट के कीड़े भी नष्ट होते हैं।


#- त्वचा विकार- त्वचा में खुजली, तिल निकलना आदि विकारों गठिया की समस्या में जंगली प्याज को पीसकर अथवा इसका रस निकाल लें। इसे लगाने से खुजली कम होती और अन्य समस्याएँ भी दूर होती हैं।

#- तलुवों की जलन - जंगली प्याज को पीसकर पैरों के तलुओं में लगाने से तलुवों की जलन शांत होती है।
 
#- संक्रामक बिमारी - हवा के माध्यम से शीघ्र फैल जाने वाले रोगों से बचने के लिए प्याज (pyaj) को काट कर इसके टुकड़े पास में रख लेना चाहिए। आप इन टुकड़ों को दरवाजे पर भी बाँध सकते हैं।  ऐसा करने से ये रोग बढ़ते नहीं हैं।


#- स्वानुभत योग - सफेद प्याज (pyaj) का 10 मिली रस, अदरक का 10 मिली रस, नींबू का 10 मिली रस लें। इन्हें 50 मिली शहद में मिलाकर रखें। इस घोल को नियमित रूप से 2-2 बूँद आखों में डालने से मोतियाबिन्द कट जाता है।

#- बाजीकरण - प्याज (onion in hindi) में तीव्र दुर्गन्ध होती है। यह पुरुषों में कामुकता और महिलाओं में रजोगुण को बढ़ा करके कम भावना को तेज करता (pyaj khane ke nuksan) है।




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