Wednesday 12 May 2021

रामबाण योग :- 76 -:

रामबाण योग :- 76 -:

पीपल का पेड-

#- पीपल विषैली कार्बन डाइआक्साईड सोखता है और प्राणवायु मतलब ऑक्सीजन छोड़ता (peepal tree information in hindi) है। पीपल के पेड़ की छाया बहुत ठंडी होती है। पीपल का पेड़ लगभग 10-20 मीटर ऊँचा होता है। यह अनेक शाखाओं वाला, विशाल औक कई वर्षों तक जीवित रहता है। पुराने वृक्ष की छाल फटी सफेद-श्यमाले रंग की होती है। इसके नए पत्ते (Peepal Leaf) कोमल, चिकने तथा हल्के लाल रंग के होते हैं। इसके फल चिकने, गोलाकार, छोटे-छोटे होते हैं। कच्ची अवस्था में हरे और पके अवस्था में बैंगनी रंग के होते हैं। पीपल के पेड़ (peepal plant) की जड़ भूमि के अन्दर उपजड़ों से युक्त होती है और बहुत दूर तक फैली रहती है। वट वृक्ष के समान ही इसके पुराने वृक्ष के तने तथा मोटी-मोटी शाखाओं से जटाएं निकलती हैं। इसे पीपल की दाढ़ी कहते हैं। ये जटायें बहुत मोटी तथा लम्बी नहीं होती। इसके तने या शाखाओं को तोड़ने या छिलने से या कोमल पत्तों को तोड़ने से एक प्रकार का चिपचिपा सफेद पदार्थ (दूध जैसा) निकलता है।
 पीपल का वानस्पतिक नाम Ficus religiosa Linn.  (फाइकस् रिलीजिओसा) Syn-Ficus caudata Stokes; Ficus peepul Griff. है और यह Moraceae (मोरेसी) कुल का है। Hindi – पीपल वृक्ष (Pipal vriksh) , English  – पीपल ट्री (Peepal tree), बो ट्री (The bo tree), बोद्ध ट्री (Bodh tree), ट्री ऑफ इन्टेलिजेन्स (The tree of intelligence), Sacred fig (सेक्रेड फ्रिग), Sanskrit – पिप्पल, कुञ्जराशन, अश्वत्थ, बोधिवृक्ष, चलदल, बोधिद्रुम, गजाशन कहते है।

 
#- नकसीर - पीपल का ताजा पत्ता लेकर कूट-पीसकर उसका रस निकाल लें। 5-5 बूंद नाक में डालने से नाक से खून आना बंद हो जाता है। 10-15 मिली रस में थोड़ी मिश्री मिलाकर पीने से भी लाभ मिलता है।

#- आँखों का दर्द - पीपल के पत्ते (Peepal Leaf) के फायदे से आंखों के रोग ठीक किए जा सकते हैं। पीपल के पत्तों (peepal leaf) से से जो दूध (आक्षीर) निकलता है, उसको आंख में लगाने से आंखों में होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।

#-दाँत रोग - पीपल और वट वृक्ष की छाल को समान मात्रा में मिलाकर जल में पका लें। इसका कुल्ला करने से दांतों के रोग ठीक होते हैं।

#- पीपल दातून के लाभ - पीपल की ताजी टहनी से रोज दातुन (ब्रश) करने से दांत मजबूत होते हैं। इससे बैक्टीरिया खत्म होते हैं और मसूड़ों की सूजन भी कम होती है। इसके अलावा पीपल की दातुन करने से मुंह से आने वाली दुर्गंध भी खत्म हो जाती है।


#- हकलाहट - पीपल के वृक्ष के लाभ हकलाने की समस्या में भी फायदे पहुंचाते हैं। पीपल के आधी चम्मच पके फल के चूर्ण में शहद मिला लें। इसका सुबह-शाम सेवन करने से हकलाहट की बीमारी में लाभ होता है।
 


#- कुक्कुर खाँसी - 40 मिली पीपल के पेड़ की छाल का काढ़ा या 10 मिली रस को दिन में तीन बार देने से कुक्कुर खांसी में लाभ होता है।
 
#- आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आप सांस की बीमारी से पीड़ित हैं तो पीपल के पेड़ के आस पास रहना आपके लिए फायदेमंद है। पीपल का पेड़ वायु को शुद्ध रखता है और अन्य पेड़ों की तुलना में अधिक ऑक्सीजन वायुमंडल में छोड़ता है।

#- दमा रोग - पीपल की छाल और पके फल के चूर्ण को बराबर मिलाकर पीस लें। आधा चम्मच मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से दमे में लाभ होता है।

#- दमा रोग - पीपल के सूखे फलों को पीसकर 2-3 ग्राम की मात्रा में 14 दिन तक जल के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे सांसों की बीमारी और खांसी में लाभ होता है।
 
#- हिचकी,उलटी,तृष्णा - पीपल की 50-100 ग्राम छाल के कोयलों को पानी में बुझा लें। इस पानी को साफ कर पिलाने से हिचकी की समस्या, उल्टी और अत्यधिक प्यास लगने की समस्या में लाभ होता है।
 
#- रक्तदोष,विषदोष,अरूचि आदि - अगर आपको भूख कम लगती है तो पीपल के वृक्ष के लाभ इस समस्या में ले सकते हैं। पीपल के पके फलों के सेवन से कफ, पित्त, रक्तदोष, विष दोष, जलन, उल्टी तथा भूख की कमी की समस्या ठीक होती है।
 
#- पेटदर्द , टोटका - पीपल के पत्ते के फायदे से पेट के दर्द ठीक होते हैं। पीपल के ढाई पत्तों को पीसकर 50 ग्राम गुड़ में मिलाकर गोली बना लें। इसे दिन में 3-4 बार खाना चाहिए।

 #- दौर्बल्य - जब पीपल फल आ रहे तो उन्हें इकट्ठा करके धोकर , सुखाकर चूर्ण बनाकर रख ले आधा चम्मच पीपल के फल का चूर्ण को दिन में तीन बार गाय के दूध के साथ सेवन करते रहने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
 
#- बद्धकोष्ठ,क़ब्ज़ रोग - पीपल के पत्ते के फायदे से कब्ज की समस्या ठीक होती है। कब्ज हो तो पीपल के 5-10 फल को नियमित रूप से खाएं। कब्ज ठीक हो जाता है।

#- कोष्ठबद्धता - पीपल का पत्ता और कोमल कोपलों का काढ़ा बना लें। 40 मिली काढ़ा को पिलाने से पेट साफ हो जाता है और कब्ज की समस्या ठीक हो जाती है।
 
#- रक्तातिसार,ख़ूनी पेचिश -पीपल (Peepal ka Pedh) की कोमल टहनियां, धनिया के बीज तथा मिश्री को बराबर भाग में मिला लें। 3-4 ग्राम रोज सुबह और शाम सेवन करने से पेचिश व ख़ूनी पेचिश में लाभ होता है।
 
#- पिलिया रोग - पीपल के 3-4 नए पत्तों को मिश्री के साथ 250 मिली पानी में बारीक पीस-घोलकर छान लें। यह शर्बत रोगी को 2 बार पिलाएं। इसे 3-5 दिन प्रयोग करें। यह पीलिया रोग के लिए रामबाण औषधि है।


#- प्लीहा शोथ - तिल्ली विकार जैसे तिल्ली में सूजन की समस्या से ग्रस्त है तो उसे पीपल के वृक्ष के लाभ लेने चाहिए। पीपल की 10-20 ग्राम छाल को जलाकर उसकी राख में समान भाग कलमी शोरा मिला लें। इस चूर्ण को एक पके हुए केले पर छिड़ककर एक केला रोज खाने से प्लीहा (तिल्ली) सूजन ठीक होती है।
 
#-मधुमेह - पीपल के पेड़ की छाल का 40 मिली काढ़ा पिलाने से पित्तज दोष और डायबिटीज में लाभ होता है।

#- मूत्रकृच्छ - पीपल की छाल का काढ़ा पिलाने से पेशाब के रुक-रुक कर आने की समस्या में लाभ होता है।
 
#- उपदंश, सिफ़लिस - पीपल की छाल को जलाकर भस्म बना लें। इस भस्म को उपदंश (सिफलिस) पर छिड़कने से लाभ होता है।


#- कण्ठव्रण - गले के रोग में पीपल की अंतर छाल को गुलाब जल में घिसकर लगाएं। इससे घाव जल्दी भर जाते हैं।
 
#- बांझपन - पीपल के वृक्ष के लाभ से बांझपन की समस्या में फायदा मिलता है। मासिक धर्म खत्म होने के बाद 1-2 ग्राम पीपल के सूखे फल के चूर्ण को गाय के कच्चे दूध के साथ पिएं। 14 दिन तक देने से महिला का बांझपन मिटता है।
 
#- बिवाई फटना - कई लोगों को यह शिकायत रहती है कि उनके पैरों की एड़ियां फट गई है। ऐसे में पीपल के पत्ते के फायदे ले सकते हैं। हाथ-पांव फटने पर पीपल के पत्तों का रस या दूध (आक्षीर) लगाएं। यह लाभ पहुंचाता है।

#- खुजला रोग - पीपल की कोमल कोपलें खाने से खुजली और त्वचा पर फैलने वाले चर्म रोग खत्म हो जाते हैं। इसका 40 मिली काढ़ा बनाकर पीने से भी यही लाभ होता है।
 
#- खाज, खुजली रोग - खाज-खुजली की समस्या हो तो 50 ग्राम पीपल की छाल का भस्म बना लें। इसमें आवश्यकतानुसार चूना गाय का घी मिलाकर अच्छी प्रकार से लेप बना लें। इसका लेप करने से खाज-खुजली ठीक होता है।

#- खुजली रोग - पीपल की छाल का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में रोज सुबह और शाम पिलाने से खुजली ठीक होता है।
 
#- अग्निदग्ध ,चोट,घाव- पीपल की छाल के चूर्ण को पीसकर उसमें गाय का घी मिला लें। इसे जलने या चोट लगने से हुए घाव पर लगाने से रक्तस्राव बंद हो जाता है और घाव तुरंत भरने से लाभ होता है।

#- अग्निदग्ध - पीपल  की छाल के चूर्ण को आग से जलने के कारण हुए घाव पर छिड़कने से तुरंत घाव सुख जाता है।

#- फोड़े-फून्सियों में - पीपल के कोमल पत्तों को गेहूं के गीले आटे में पीसकर मिला लें। इसे फोड़ों पर लगाने से फोड़े ठीक होते हैं और सूजन ठीक हो जाती है।

#-फोड़े ,फुन्सियां - पीपल की छाल को जल में घिसकर फोड़े-फुन्सियों पर लगाने और गीली पट्टी बाँधने से अत्यन्त लाभ होता है।

 #- पुराना बिगड़ैल व्रण - आप पीपल के वृक्ष के लाभ घाव में भी ले सकते हैं। पीपल की नरम कोपलों को जलाकर कपड़े से छान लें। इसे पुराने बिगड़े हुए फोड़ों पर छिड़ने से लाभ होता है।

#- घाव - पीपल छाल के महीन चूर्ण को क्षत या घाव पर लगाने से रक्तस्राव बंद होकर घाव शीघ्र भरता है।

#- पुराना व्रण - पुराने तथा ना भरने वाले घावों पर पीपल की अंतर छाल को गुलाब जल में घिसकर लगाएं। इससे घाव जल्दी भर जाते हैं।

#- घाव पर औषधि का लेप लगाकर पीपल के कोमल पत्तों से ढक दें। यह घाव को सुखाता है।

#- घाव - अर्जुन, गूलर, पीपल, लोध्र, जामुन तथा कट्फल की छाल लेकर चूर्ण बना लें। इसे घाव पर छिड़कने से घाव तुरंत ठीक हो जाता है।

#- घाव, सूजन - वट, गूलर, पीपल प्लक्ष तथा वेतस की छाल के चूर्ण में पर्याप्त मात्रा में गाय का घी मिला लें। इसका लेप करने से घाव की सूजन ठीक हो जाती है।

#- घाव - ताजे झड़े हुए पीपल के पत्ते की बारीक चूर्ण को घाव पर छिड़कने से घाव तुरंत ठीक होता है।

#- मुँह के घाव - पीपल की हरी छाल और हरे पत्तों से बने पेस्ट में मधु मिलाकर लेप करने से मुंह का घाव ठीक होता है।

#- चोटदर्द - पीपल के 21 कोमल पत्ते  पीसकर, गुड़ में गोलियां बना लें। इसे 7 दिन सुबह-शाम खिलाने से चोट लगने के कारण होने वाले दर्द में लाभ होता है।
 
#- नहरूआ - पीपल (pipal tree) के पत्तों को गर्म करके बांधने से नहरुआ रोग में लाभ होता है।

 #- स्नायुक - पीपल के पत्तों को गरम करके बाँधने से स्नायुक गल जाती है । इसके 21 कोमल पत्ते पीसकर , गुड में गोलियाँ बनाकर 7 दिन सुबह सायं खाने से क्षतजन्य वेदना ( पिटाई का दर्द ) का शमन होता है।

#- विस्फोट , टोटका - पीपल के 21 कोंमल पत्तों को पीसकर गेहूँ के आटे में मिलाकर लेप बनाकर , सूजन तथा विस्फोट पर लेप करने से लाभ होता है।

#- वातरक्त, रक्त विकार - वातरक्त आदि रक्त विकारों में पीपल की छाल से लाभ होता है। छाल के 40 मिली काढ़ा में 5 ग्राम मधु मिलाकर सुबह-शाम पिलाना चाहिए।

#- रक्त शोधक - 1-2 ग्राम पीपल की बीज के चूर्ण को मधु के साथ सुबह-शाम चटाने से खून साफ होता है।
 
#- रक्तपित्त , नाक, कान से ख़ून बहना - पीपल के फल का चूर्ण और मिश्री को बराबर मात्रा में मिला लें। इसे 1 चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार ठंड जल के साथ सेवन करने से कुछ ही दिनों में रक्तपित्त (नाक-कान आदि अंगों से खून बहना) की समस्या में लाभ होता है।
 
#- राजक्ष्मा , टी. बी. रोग - पीपल जड़ का मोदक (लड्डू) बना लें। इसका सेवन करने से टीबी रोग (राजयक्ष्मा) में लाभ होता है।
 
#- ज्वर रोग - 10-20 मिली पीपल के पत्ते काढ़ा का सेवन करने से फुफ्फुस शोथजन्य ज्वर में लाभ होता है।

#- टायफायड , आंत्रिकज्वर - 1-2 ग्राम पीपल (pipal tree) की छाल के चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ सेवन करने से टॉयफॉयड (आंत्रिकज्वर) में लाभ होता है।
 
#- सम्भोगशक्ति - पीपल के फल, जड़ की छाल और शुंग (पत्रांकुर) ो गाय के दूध को पका लें। इसमें शर्करा और मधु मिलाकर पीने से वाजीकरण गुणों (संभोग शक्ति) की वृद्धि होती है।

#- पुरूषत्व - बराबर भाग पीपल फल, जड़, की छाल तथा शुंठी को मिलाकर गाय के दूध में पका लें। इसमें मिश्री और मधु मिलाकर नियमित सुबह-शाम सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और कामशक्ति को बढ़ाता है।

#- बाजीकरण - पीपल के फल , पीपलमूलत्वक और पत्रांकुर ( पत्तों नरम कोंपलों ) व गाय के दूध में क्षीरपाक ( खीर बनाना ) में मिश्री या मधु मिलाकर खाने से बाजीकरण गुणों की वृद्धि होता है।

#- सर्पदंश - सर्पदंश में पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच की मात्रा में 3-4 बार पिलायें और मुँह में पत्ते चबाने के लिए देते रहे , ऐसा करने से विष का प्रभाव कम होता है।

#- सर्पदंश की पहचान, टोटका - पीपल के पत्तों को टहनी से तोड़कर दो पत्ते दोनों हाथो में लेकर पत्तों को मज़बूत पकड़कर उनकी डण्ठल कानों के पास धीरे- धीरे लेकर जाये कान के पास आकर डण्ठल तेज़ी से फ़ोर्स के साथ कानों में घुसने लगेगी , डण्ठल को ज़्यादा मत घुसने देना और पत्ते मज़बूती से पकड़कर रखना वरना कान के पर्दे फट जाते है। यदि डण्ठल कान मे अपने आप घुसती है तो पक्का सर्पदंश है उसका उपचार शुरू करे वरना किसी और कीट ने काटा होगा।

#- लूता मकडी विष - पीपल, लिसोडा, विभूति त्वचा के शीतकषाय से सेवन तथा कल्क का दंश स्थान पर लेप करने से लूता मकडी के विष में लाभ होता है।
 
#- नपुंसकता - आधा चम्मच पीपल के फल के चूर्ण को दिन में तीन बार दूध के साथ सेवन करते रहने से नपुंकता दूर होती है तथा वीर्य विकार और कमजोरी में लाभ होता है।
 
#- भगंदर - भगंदर में पीपल की अंतर छाल को गुलाब जल में घिसकर लगाएं। इससे घाव जल्दी भर जाते हैं। भगंदर में भी इससे लाभ होता है।


#- मकडें का विष - मकड़े के विष को खत्म करने के लिए पीपल, लिसोड़ा तथा विभीतक त्वचा का प्रयोग करना चाहिए। इनके बने पेस्ट को काटने वाले स्थान पर लेप करने से लूता (मकड़ा) के विष में लाभ होता है।
 



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