Wednesday 12 May 2021

रामबाण योग :- 77 -:

रामबाण योग :- 77 -:

पीलू ( मिस्वाक )-

पीलू  (Meswak tree) एक कांटेदार वृक्ष है। कई लोग पीलू को पीलु या पीला (Pillu or Peelu) भी कहते हैं। इसके फल मीठे तथा स्वादिष्ट होते हैं। आपने शायद पीलू को देखा भी होगा क्योंकि अनेक लोग पीलू के वृक्ष के डंठलों से दातुन भी करते हैं। कुछ ही लोगों को यह पता होता है  कि पीलू का प्रयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। आयुर्वेदिक जानकार ये बताते हैं कि पीलू एक बहुत ही गुणी औषधि है और पीलू का प्रयोग कर कई रोगों को ठीक किया जा सकता है। पेट के रोग, पथरी, बवासीर और तिल्ली विकार में पीलू का उपयोग कर लाभ पाया जा सकता है। दर्द आदि में भी पीलू का प्रयोग लाभदायक होता है। इतना ही नहीं, कुष्ठ रोग, डायबिटीज में भी पीलू के प्रयोग से बहुत लाभ मिलता है। पीलू (Miswak tree) की जड़ की छाल से शारीरिक कमजोरी और मासिक विकार दूर होते हैं। आइए जानते हैं कि आप पीलू से और क्या-क्या फायदे ले सकते हैं।
पीलू का वृक्ष (Meswak tree) 2-3 मीटर ऊँचा होता है और इसकी दो जातियां होती है। इसकी शाखाएं कमजोर और नीचे की ओर झुकी हुई होती हैं। शाखाएं छोटी और हमेशा हरी रहती हैं। पीलू के फल (pilu fruit) 3 मिमी व्यास के, गोल, चिकने होते हैं। ये कच्ची अवस्था में हरे और पके अवस्था में लाल रंग के, चमकीले तथा रस-युक्त होते हैं। प्रत्येक फल में एक बीज होता है। फलों को मसलने से तेज गन्ध आती हैं।
(1) छोटा पीलू (2) बड़ा पीलू। पीलू का वानस्पतिक नाम Salvadora persica Linn. (सैल्वेडोरा पर्सिका) Syn-Salvadora indica Wight है और यह Salvadoraceae (सैल्वैडोरेसी) कुल का है। Hindi – पीलू, छोटा पीलू, खरजाल, English – मेसवाक (Meswak), साल्ट बुश ट्री (Salt bush tree), मस्टर्ड ट्री (Mustard tree), Tooth brush tree (टूथ ब्रश ट्री), Sanskrit – पीलू , पीलू, गुडफल्, स्रीं, शीतफल, गौली, शीत, सहस्राक्षी, शीतसह, श्याम, करभवल्लभ, पीलूक
कहते है।


#- मुँह के छालें - पीलू के फलों को खाने से मुंह के छाले की समस्या खत्म होती है।

#- पीलू की दातून - पीलू की लकड़ी का दातून करने से दांत तथा मसूड़े मजबूत होते हैं।
इससे मुंह की बदबू खत्म होती है।
 
#- साँस फुलना/ दमा - पीलू के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीने से श्वास (सांस फूलना/दमा) और खांसी में लाभ होता है।

 #- गुल्म ,पेट की गैस - भुने हुए पीलू फल को सेंधा नमक के साथ खाएं और साथ में गोमूत्र, दूध या अंगूर का रस पीने से पेट की बीमारी जैसेपैट की गैस की समस्या ठीक होती है।


#- आनाह,पेट फूलने की समस्या - पीलू के पेस्ट से पकाए हुए गाय के घी का सेवन करने से पेट के फूलने की समस्या में लाभ होता है।
 
#- उदावर्त,पेटदर्द - निशोथ, पीलू, अजवायन, कांजी आदि अम्ल द्रव्य तथा चित्रकादि पाचन द्रव्यों को मिलाकर सेवन करें। इससे पेट दर्द और आंतों के रोग में लाभ होता है।
 
#- अर्श , गुदा विकार - रोज सुबह 7 दिन से एक माह तक पीलू को अकेले या गौतक्र ( छाछ ) के साथ सेवन करें। इससे बवासीर, पेट की गैस, पाचन विकार, गुदा विकार आदि में लाभ मिलता है।

#- अर्श - पीलू के फलो को खाकर , गौतक्र का सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।

#- बवासीर मस्सें - सहिजन बीज, जड़ी बीज, कनेर पत्ते, पीलू वृक्ष की जड़, बेलगिरी तथा हींग को थूहर के दूध के साथ पीस लें। इसे बवासीर के मस्सों पर लेप करने से लाभ होता है।

#- बवासीर - पीलू के तेल में बत्ती भिगोकर गुदा में रखने से बवासीर में लाभ होता है।

#- मूत्रविकार - पीलू (Miswak tree) के फलों का काढ़ा बनाकर 10-40 मिली मात्रा में पिएं। इससे मूत्र विकार ठीक होते हैं।

 #- पूयमेह , सूजाक - 10-40 मिली पीलू की जड़ का काढ़ा पीने से सुजाक में लाभ होता है।
 
#- वातरक्त ,गठिया रोग- बलाजड़, शतावरी जड़, रास्ना, दशजड़, पीलू फल, काली निशोथ, एरण्डजड़ तथा शालपर्णी के पेस्ट को गाय के दूध में पका कर सेवन करें। इससे गठिया में लाभ होता है।

#- आमवात , जोडो के दर्द - पीलू के पत्ते को पीसकर लगाने से भी जोड़ों के दर्द या गठिया में लाभ होता है।

#- संधिशूल , जोडो के दर्द - पीलू के पत्ते तथा निर्गुण्डी के पत्तों को समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसे जोड़ों पर बांधने से जोड़ों के दर्द का ठीक होता है।

#- गठिया - पीलू की बीज के तेल की मालिश करने से जोड़ों का दर्द मिटता है।
 
#- श्वित्ररोग - तिल्वक, नीम, पीलू, आरग्वध पत्ते, विडंग, कनेर बीज, हरिद्रा, दारुहरिद्रा, लघु तथा बड़ी कटेरी को जल में पीस लें। इसका लेप करने से सफेद दाग खत्म हो जाते हैं।

#- अग्निदग्ध - पीलू के पत्तों को पीसकर आग से जले हुए स्थान पर लगाने से लाभ होता है।

#- व्रण - पीलू के पत्तों को पीसकर घाव के ऊपर लगाने से घाव में पीव नहीं बनती तथा घाव जल्दी भर जाते हैं।
 
#- मदात्यय , तृष्णा -कई लोगों को शराब के सेवन के बाद बहुत अधिक प्यास लगने की समस्या हो जाती है। इसमें पीलू के रस का सेवन करना चाहिए। यह मद्यपान मतलब शराब पीने के बाद अत्यधिक प्यास लगने की समस्या खत्म होती है।
 
#- पित्त अधिकता से शुक्राणु विकार- पीलू के फलों  का सेवन करने से पित्त की अधिकता से होने वाली बीमारियां जैसे- शुक्राणु विकार, कफ एवं वात दोष में लाभ होता है।
 
#- दर्द - पीलू के पत्तों को जैतून के तेल में पकाकर छान लें। इस तेल से मालिश करने से दर्द ठीक होता है।
 





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