Monday 10 May 2021

रामबाण योग :- 68 -:

रामबाण योग :- 68 -:

#- पालक शाक -

पालक (palak) की पौष्टिकता की जितनी बखान करेंगे, वह कम ही होगी, क्योंकि पालक में मिनरल्स और विटामिन्स भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। पालक एक ऐसी सब्जी है, जिसे हर कोई खाना पसंद करता है
आयुर्वेद के अनुसार, पालक (spinach in hindi) वात-कफ-पित्त को कम करती है। पालक में विटामिन, मिनरल ,फाइटोन्यूट्रिएन्ट्स, प्रोटीन, फाइबर आदि भरपूर मात्रा में तो होते ही हैं, साथ ही कैलोरी ना के बराबर होती है। पालक (palak)  एक ऐसी सब्जी है जो अपनी पौष्टिकता के कारण सुपरफूड मानी जाती है। शाकाहारी हो या मांसाहारी, सभी लोग इस सुपरफूड से कई तरह के पकवान बनाकर खाते हैं। पालक से सूप, दलिया, सब्जी (palak ki sabji), साग, सलाद, दाल, खिचड़ी जैसे बहुत तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। पालक के पत्ते का विरेचक गुण यानि मलाशय को साफ करने में मदद करने तथा शरीर की हानिकारक चीजों को पेशाब के रास्ते बाहर निकालने में सहायता करता है। पालक के सेवन से खाना अच्छी तरह से हजम होने में मदद मिलती है। इसके पत्ते जितने काटे जाते हैं उतनी ही तेजी से बढ़ते हैं। इसकी जड़ गुच्छेदार होती है। जड़ छोटी, सीधी और लगभग 30-60 सेमी ऊंची होती है। इसके पत्ते सीधे, एकांतर होते हैं। पत्तों में बीच का भाग बड़ा, मांसल होता है। इसके फूल हरे-पीले रंग के होते हैं। पालक का वानस्पतिक नाम Spinacia  oleracea Linn. (स्पाइनेसिया ओलेरेसिया) Syn-Spinaciainermis Moench है, और यह Chenopodiaceae (कीनोपोडिएसी) कुल की है। Sanskrit-पालक्या, मधुरा, पलक्या, वास्तुकाकारा, छुरिका ,Hindi –पालक, पालक शाक, पला; Urdu-पालक (Palak); कहते है।


#- सिरदर्द - आजकल तो सिर दर्द आम समस्या बन गई है। दिन भर धूप में रहने, कंप्यूटर पर काम करने, या फिर खान-पान में बदलाव के कारण सिर दर्द होना आम बात है। सर्दी-खांसी और बुखार के वजह से भी सिर दर्द हो जाती है। सर्दी-जुखाम में पालक के सेवन से फायदा मिलता है। जिन लोगों को भी सिर दर्द की परेशानी होती है, उनको पालक का सेवन जरूर करना चाहिए।
#- मोतियाबिंद - उम्र बढ़ने के साथ मोतियाबिंद की बीमारी होना आम बात हो गई है। मोतियाबिंद होने से लोगों को देखने में परेशानी होने लगती है। आयुर्वेद के अनुसार, पालक का सेवन करने से मोतियाबिंद से आराम मिलता है
#- आँखों की सूजन - पालक (spinach in hindi) के गुण से आंख संबंधी समस्याओं में लाभ पहुंचता है। पालक पंचांग के रस को आंखों में लगाने से आंखों की सूजन ठीक होती है।

#- आँख रोग - पालक की जड़, पीपल, शंख और अश्वगंधा को अलग-अलग 4-4 मासा (0.97 ग्राम) लें। इन्हें  जम्बीरी नींबू के रस से पीस लें। इसकी गोलियां बना लें। इन गोलियों को पीसकर आंखों में लगाने से आंखों के रोग में लाभ होता है।


#- गले की ख़राश व सूजन - अक्सर मौसम के बदलने पर गले में खराश या गले में दर्द की शिकायत होने लगती है। इस परेशानी को पालक के सेवन से दूर कर सकते हैं। पालक के पत्तों को उबालें। इस रस को गुनगुना होने पर पिएं। पालक के जूस के फायदे से गले की सूजन से आराम मिलती है।


#- फेफड़ों की सूजन - कभी-कभी सांस लेने वाली नली में किसी प्रकार के संक्रमण के कारण फेफड़ों में सूजन जाती है। इसमें पालक के पत्ते का रस यानि पालक के जूस के फायदे से सूजन कम होने में मदद मिलती है।  5 मिली पालक पत्ते के रस (palak juice) का सेवन करें। इससे फेफड़ों की सूजन कम होती है।


#- ग्रहणी , मधुमेह - इरिटेब्ल बॉवेल सिंड्रोम या ग्रहणी एक ऐसी बीमारी है जिसमें लोगों को पेट से संबंधित समस्या हो जाती है। इसमें आंतों में सूजन हो जाती है, और इसके कारण खाना हजम नहीं हो पाता। इसके कारण उल्टी भी होने लगती है। पालक का औषधीय गुण इस अवस्था को सुधारने में मदद करता है। आप पालक का साग बनाकर खाएं। इससे लाभ होता है। यह डायबिटीज रोग में लाभ दिलाती है।


#- गूदा की सूजन - जिनको पाइल्स या बवासीर की समस्या है, उनको गुदा में सूजन की परेशानी भी हो जाती है। इस हालत में पालक का प्रयोग लाभकारी होता है। पालक के पत्ते का साग (palak ki sabji) बनाकर सेवन करने से गुदा (anus) की सूजन कम होती है।


#- पाण्डूरोग - लीवर के सूजन में पीलिया होने का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है। पीलिया या जॉन्डिश होने पर पालक के बीज या पालक का पेस्ट बनाकर खाने से लाभ मिलता है। 1-2 ग्राम पालक बीज का चूर्ण या 1-2 ग्राम पालक पेस्ट का सेवन करें। इससे लीवर की सूजन और पाण्डु या एनीमिया रोग में भी मिलता है। पालक का गुण लीवर के सूजन को कम करने में मदद करता है।



#- पेशाब में दर्द - जिन लोगों को पेशाब करते वक्त दर्द होता है, उन्हें पालक का इस्तेमाल इस तरह से करना चाहिए। आप 5-10 मिली पालक बीज का काढ़ा बना लें। इसका सेवन करने से पेशाब में दर्द की बीमारी ठीक होती है।


#- गठिया रोग - गठिया का दर्द लोगों को बहुत परेशान करता है। हाथ-पैर, कमर में और जोड़ो में भी गठिया के कारण तेज दर्द होता है। इसमें लाभ पाने के लिए पालक के बीज और पत्ते का इस्तेमाल इस तरह कर सकते हैं। आप पालक के बीजों तथा पत्तों को पीसकर जोड़ों पर लगाएं। इससे दर्द और सूजन कम होती है। गठिया का दर्द कम करने में पालक का गुण फायदेमंद साबित होता है।


#- श्वित्ररोग - सफेद दाग की समस्या में भी पालक का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। पालक के पत्ते का पेस्ट बनाकर लगाने से दाग कम होते हैं।


#- दाद, खाज - अक्सर त्वचा के शुष्क हो जाने या किसी एलर्जी के कारण, त्वचा पर खुजली या लाल-लाल दाने आने लगते हैं। इसके लिए पालक के बीजों में समान मात्रा में खसखस के बीजों को मिला लें। इसे पीसने के बाद प्रभावित जगह पर ठीक से लगा लें। इसके बाद नीम के पत्ते वाली पानी से नहा लें। इससे खुजली या एग्जिमा ठीक होती है।


#- दौर्बल्य - अक्सर पौष्टिकता की कमी या किसी बीमारी के वजह से कमजोरी हो जाती है। शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए 5-10 मिली पालक पत्ते के रस का रोज सेवन करें। इससे शरीर में खून की कमी दूर होती है और शरीर को नई ऊर्जा मिलती है।


#- हड्डियाँ मज़बूत - पालक का जूस हड्डियों की मजबूती के लिए फायदेमंद होता है। पालक में पाये जाने वाले  विटामिन्स और मिनिरल जैसे कैल्शियम और आयरन हड्डियों को मज़बूती प्रदान करते हैं जिससे ऑस्टोपोरोसिस, एनीमिया जैसी  बीमारियों से बचाव होता है। 


#- आहारनाल शोधन - पालक का सेवन शरीर के डेटोक्सिफिकेशन में सहायता करता है। पालक आहारनालिका में जमी गंदगी यानि टोक्सिन्स को बाहर निकालकर शरीर के शुद्ध करती है, क्योंकि पालक में विरेचक (लैक्सटिव) का गुण पाया जाता है। 


#- रक्तचाप - आजकल तो तनाव और अंसुतलित खान-पान के कारण ज्यादातर लोगों को उच्च रक्तचाप की बीमारी होने लगी है। इसके लिए 5-10 मिली पालक के रस (palak juice) में समान भाग नारियल का जल मिला लें। इसके सेवन से उच्च रक्तचाप में फायदा पहुंचता है।



#- गर्भकाल मे पालक उपयोगी - गर्भवती महिलाओं के लिए पालक का सेवन फायदेमंद होता है, क्योंकि पालक आयरन का  मुख्य स्रोत होता है जिसकी गर्भवती महिलाओं को आवश्यकता होती है।


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